मानसून की बारिश का सबसे ज्यादा प्रभाव इस बार हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रहा है। खासकर मंडी जिले में कई जगहों पर बादल फटने की घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण भारी तबाही हुई है। क्षेत्र में हुई तीव्र बारिश के कारण ब्यास नदी उफान पर आ गई है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हिमाचल प्रदेश के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है। अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्राकृतिक आपदा में करीब 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल और फंसे हुए हैं।
मौसम विभाग ने न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में 7 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसका असर पूरे उत्तरी भारत में देखने को मिल सकता है। ऐसे में प्रशासन ने भी सतर्कता बढ़ा दी है और राहत बचाव कार्यों में तेजी लाई जा रही है।
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं और बाढ़
मंडी के कई इलाकों में अचानक बादल फटने से भारी बारिश हुई, जिससे कई जगह मलबा और कीचड़ बहने लगा। इस वजह से रास्ते बंद हो गए और कई लोग फंसे हुए हैं। ब्यास नदी में बाढ़ आ गई है, जिससे आसपास के गांवों और खेतों में पानी घुस गया है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में राहत कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन मलबा हटाने और नुकसान का आंकलन करने में मुश्किलें आ रही हैं।
वहीं, बाढ़ की वजह से फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए सेना और स्थानीय प्रशासन ने बचाव अभियान तेज कर दिया है। साथ ही, कई इलाकों में यातायात बाधित हो गया है, जिससे आवागमन पर भी असर पड़ा है।
मौसम विभाग का रेड अलर्ट और आगामी बारिश
भारत मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जो सबसे ज्यादा गंभीर चेतावनी मानी जाती है। इसका मतलब है कि भारी बारिश से जान-माल का गंभीर नुकसान होने का खतरा है और लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, उत्तरी हरियाणा, पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, उत्तरी छत्तीसगढ़ और गुजरात के कुछ जिलों के लिए भी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
IMD की भविष्यवाणी के अनुसार 7 जुलाई तक इन राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। यह बारिश मानसून की सक्रियता को दर्शाती है, लेकिन साथ ही साथ यह बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भी खतरा बढ़ा देती है।
पिछले 24 घंटों में अन्य राज्यों में भी बारिश का प्रभाव
पिछले 24 घंटों में उड़ीसा, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वी राजस्थान और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश देखी गई है। खासकर उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में कुछ स्थानों पर तीव्र बारिश हुई, जिससे कई इलाकों में जलभराव की समस्या पैदा हो गई है। इससे वहां के किसानों और स्थानीय लोगों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, मानसून इस बार सामान्य से ज्यादा सक्रिय है और विभिन्न राज्यों में बारिश की तीव्रता बनी रहेगी। इसलिए लोगों को सतर्क रहने और अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जा रही है।
हिमाचल प्रदेश की स्थिति और प्रशासन की तैयारी
हिमाचल प्रदेश सरकार ने बाढ़ और भूस्खलन को देखते हुए सभी संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा है। आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव के लिए टीमों को तैनात किया है। साथ ही, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावनाओं को लेकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है।
सरकारी स्कूलों और सार्वजनिक भवनों को अस्थायी आश्रय केंद्र के रूप में तैयार किया गया है, जहां जरूरतमंद लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। राज्य के विभिन्न जिलों में लगातार बिजली और जल आपूर्ति की स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
लोगों को सतर्क रहने की जरूरत
मौसम विभाग और प्रशासन दोनों ही लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे बारिश के दौरान अनावश्यक बाहर न निकलें। नदी-नालों के किनारे जाने से बचें और ऊंचाई वाले इलाकों में खासकर भूस्खलन से बचाव के लिए सावधानी बरतें। यदि किसी को आपदा का सामना करना पड़ता है तो नजदीकी बचाव केंद्र या अधिकारियों से तुरंत संपर्क करें।
सड़क मार्गों पर भारी बारिश और मलबा गिरने के कारण कई जगह यातायात बाधित हो सकता है, इसलिए यात्रा पर जाने वालों को रूट की स्थिति की जानकारी लेकर ही निकलना चाहिए।
निष्कर्ष
इस बार मानसून की बारिश ने हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में जान-माल की हानि पहुंचाई है। मंडी में बादल फटने से हुई तबाही ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लोगों की चिंता बढ़ा दी है। भारत मौसम विभाग का रेड अलर्ट और लगातार जारी बारिश के चलते सभी प्रशासनिक अधिकारी, आपदा प्रबंधन टीम और जनता को सतर्क रहना होगा।
साथ ही, सरकार को चाहिए कि वे आपदा प्रबंधन और बचाव कार्यों को और प्रभावी बनाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। लोगों को भी स्वयं को सुरक्षित रखने और मौसम विभाग के निर्देशों का पालन करने में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए।
मानसून की बारिश किसानों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए जीवनदायिनी है, लेकिन साथ ही यह अपनी तीव्रता के कारण जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए सावधानी, तैयारी और एकजुटता के साथ ही इस प्राकृतिक चक्र का सामना किया जाना जरूरी है।