शक्ति स्वरूपा मां जगदंबा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय का कहना है कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं और वह शेर पर बैठकर प्रस्थान करेंगी. भागवत पुराण के अनुसार जब भी माता हाथी पर सवार होकर आती हैं तो गज वाहिनी का आह्वान करती हैं और वह अपने साथ सुख-समृद्धि और खुशियां लेकर आती हैं। नौ दिवसीय महोत्सव में 18, 22 और 23 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्ध योग रहेगा। नवरात्र के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
पं. सुभाष शास्त्री बताते हैं कि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.30 बजे से 8:47 बजे तक है। भक्तों को इस समय तक घट स्थापना कर लेनी चाहिए। किसी कारणवश अगर आप शुभ मुहूर्त में पूजन नहीं कर पाएं हो तो अभिजीत मुहूर्त में दिन में 11.50 बजे से दोपहर 12: 38 बजे तक घट स्थापना पूजन कर सकते हैं। विधि-विधान से देवी का पूजन पूरे श्रद्धा भाव से करें।

पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं।
दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं।
नवरात्र के पहले दिन माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए।
उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
कलश स्थापना के साथ ही रोली, अक्षत, मोली, पुष्प आदि से देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए माता की पूजा करें और भोग चढ़ाएं।
अखंड दीपक प्रज्वलित कर मां की आरती करें।
बीज मंत्रों का करें जाप
ज्योतिषाचार्य अनीता पाराशर बताती हैं कि नवरात्रि का हर दिन देवी के एक स्वरूप को समर्पित है। ऐसे में देवी स्वरूप के बीज मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
नौ देवियों के मंत्र-
- शैलपुत्री- ह्रीं शिवायै नम:।
- ब्रह्मचारिणी- ह्रीं श्रीं अम्बिकायै नम:।
- चन्द्रघण्टा- ऐं श्री शक्तयै नम:।
- कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।
- स्कंदमाता- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
- कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
- कालरात्रि - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
- महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
- सिद्धिदात्री - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
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