Aaj Kyu Khs News Desk !!! महान संत रविदास ने कहा है कि, मन चंगा तो कठौती में गंगा’ ये काफी मशहूर कहावत है. इसका अर्थ है कि अगर व्यक्ति का मन शुद्ध है, किसी काम को करने की उसकी नीयत अच्छी है तो उसका हर कार्य गंगा के समान पवित्र है । संत रविदास कबीरदास के समकालीन और गुरुभाई कहे जाते हैं । बता दें कि, वे बेहद परोपकारी थे और किसी को ऊंचा या नीचा नहीं मानते थे । मान्यता है कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था । आज 16 फरवरी 2022 को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है, ऐसे में आज का दिन संत रविदास की जयंती के रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है । आज हम आपको इनकी कुछ बातों को बताने जा रहे हैं ।

कहा जाता है कि, संत रविदास का जन्म चर्मकार कुल में हुआ था, इसलिए वे जूते बनाने का काम करते थे । वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझते थे. इसलिए हर काम को पूरे मन और लगन से करते थे. उनका मानना था कि किसी भी काम को पूरे शुद्ध मन और निष्ठा के साथ ही करना चाहिए, ऐसे में उसका परिणाम भी हमेशा अच्छा ही होगा ।
बता दें कि, गुरु रविदास, जिन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है । गुरु रविदास भक्ति आंदोलन के एक प्रसिद्ध संत थे । उनके भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर स्थायी प्रभाव डाला है ।
रविदास जी जाति की बजाय मानवता में यकीन रखते थे और सभी को एक समान मानते थे । उनका मानना था कि परमात्मा ने इंसान की रचना की है, सभी इंसान समान हैं और उनके अधिकार भी समान हैं ।

बता दें कि, संत रविदास को कबीरदास का समकालीन और उनका गुरुभाई कहा जाता है. स्वयं कबीरदास ने उन्हें ‘संतन में रविदास’ कहकर संबोधित किया है । ऐसी मान्यता है कि कृष्ण भक्त मीराबाई भी संत रविदास की शिष्या थीं ।
बता दें कि, संत रविदास के शिष्यों में हर जाति के लोग शामिल थे. आज भी वाराणसी में उनका भव्य मंदिर और मठ बना है. जहां देशभर से लोग उनके दर्शन करने के लिए आते हैं ।
बताया जाता है कि, संत रविदास ने अपना जीवन प्रभु की भक्ति और सत्संग में बिताया था. उन्हें रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे नामों से जाना जाता है. संत रविदास ने चालीस पदों की रचना की थी जिसे सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल किया गया था ।

संत रविदास की जयंती के दिन मंदिर और मठों में कीर्तन-भजन का विशेष आयोजन किया जाता है । कई जगहों पर झांकियां निकाली जाती हैं. साथ ही कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं ।