आज क्योंं खास न्यूज डेस्क् !!! अपनी दमदार आवाज से छह दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में राज करने वाले अभिनेता प्राण का आज 102वां जन्मदिन है । प्राण साहब का पूरा नाम प्राण किशन सिकंद था और उन्होंने साल 1942 में हिंदी सिनेमा में कदम रखा था । आपको बता दें कि, प्राण ने ज्यादातर फिल्मों में विलेन का रोल निभाया था । एक वक्त लोगों ने अपने बच्चे का नाम प्राण रखना तक छोड़ दिया था । जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, पूरब और पश्चिम, राम और श्याम, जंजीर, डॉन और अमर अकबर एंथनी जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपनी दमदार अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज किया है।

बंटवारे के बाद फिर शुरू किया सफर—
बता दें कि, साल 1947 में हुए बंटवारे के कारण फिल्म इंडस्ट्री काफी प्रभावित हुई, क्योंकि कई लोग बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे । ऐसे में प्राण ने दोबारा अपना फिल्मी सफर शुरू करने की ठानी और साल 1948 में देवानंद की फिल्म जिद्दी में काम किया और ये फिल्म उनके करियर को ट्रर्निंग पोंइट साबित हुइ और बस इस फिल्म के बाद अभिनेता प्राण ने पीछे मुड़कर नहीं देखा । आपको बता दें कि, प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली के बल्लीमारान के एक खानदानी रईस परिवार में हुआ था । पेशे से सिविल इंजीनियर प्राण के पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद ब्रिटिश हुकुमत के दौरान सरकारी निर्माण का ठेका लिया करते थे । शायद आपको पता नहीं होगा मगर प्राण साहब बडे होकर एक फोटोग्राफर बनना चाहते थे और अपने इस सपने को पूर करने के लिए उन्होंने दिल्ली की ही एक कंपनी ‘ए दास एंड कंपनी’ में अप्रेंटिस के तौर पर काम भी किया ।

प्राण ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरूआत हिंदी सिनेमा की फिल्म खानदान से मिला । इस फिल्म में अभिनेत्री नूरजहां ने मुख्य भूमिका निभाई थी इस फिल्म के मिलने से पहले प्राण साहब ने 8 महीने तक मरीन ड्राइव के पास ही मौजूद एक होटल में काम किया था । वहीं, अमिताभ बच्चन के करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई जंजीर भी प्राण ने ही उन्हें दिलवाई थी । साल 2001 में उन्हें पद्मभूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था । वह उन गिने-चुने एक्टर्स में से हैं जिन्हें नफरत के रूप में प्यार मिला । आपको बता दें कि, एक वक्त ऐसा भी आया जब 1960 से 70 के दशक में प्राण अपनी फिल्मों के लिए 5 से 10 लाख रुपये चार्ज करते थे । आपको बता दें कि, केवल राजेश खन्ना और शशि कपूर को ही उनसे ज्यादा फीस मिलती थी । प्राण साहब ने लाहौर में 1942 से 1946 तक पूरे 4 साल में 22 फिल्मों में काम किया था और उसके बाद जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो उन्होंने हिंदि सिनेमा की तरफ रुख किया ।