देशभर के एयरपोर्ट, परमाणु संयंत्रों, सरकारी प्रतिष्ठानों और उद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रही CISF (Central Industrial Security Force) अब आगजनी की घटनाओं से निपटने में भी और अधिक कुशल और सक्षम हो रही है। जहां पहले CISF केवल इन संस्थानों की फिजिकल सिक्योरिटी और आतंकी हमलों के खिलाफ सुरक्षा का जिम्मा संभालती थी, अब वही जवान आग पर काबू पाने और आपदा प्रबंधन में भी भूमिका निभाएंगे।
CISF फायर विंग की नई ट्रेनिंग: तकनीक और दक्षता का मेल
CISF के प्रतिष्ठित फायर सर्विस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट द्वारा हाल ही में 11वां प्रशिक्षण बैच आयोजित किया गया। इस बैच में देश के 113 शहरों से आए 274 फायर कर्मियों को विशेष अग्निशमन प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण न केवल फायर फाइटिंग पर केंद्रित था, बल्कि रोकथाम, आपदा प्रतिक्रिया, बचाव तकनीक, और आधुनिक उपकरणों के उपयोग पर भी आधारित रहा।
06 जवानों को मिली जिम्मेदारी, 10 राज्यों में तैनाती की तैयारी
साल 2023 में CISF ने गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें फायर सेफ्टी को लेकर जवानों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने की योजना प्रस्तुत की गई थी। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद 5 चरणों में प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया। अब तक चार चरणों में कुल 380 जवानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
पांचवां प्रशिक्षण सत्र आगामी 25 अगस्त 2025 से शुरू होगा, जिसमें देश के 10 राज्यों के 46 शहरों से आए 106 जवानों को फायर फाइटिंग के लिए विशेष तौर पर तैयार किया जाएगा।
तकनीकी सिलेबस और मॉड्यूलर ट्रेनिंग
इस फायर सेफ्टी ट्रेनिंग प्रोग्राम की खास बात है इसका तकनीकी दृष्टिकोण। पारंपरिक अग्निशमन तकनीकों के अलावा, जवानों को स्मार्ट फायर अलार्म सिस्टम, थर्मल इमेजिंग कैमरा, रिमोट कंट्रोल फोम डिस्चार्ज, स्प्रिंकलर प्लानिंग, और संवेदनशील संस्थानों में फायर रेस्पॉन्स ड्रिल्स के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है।
CISF के प्रवक्ता सरोज भूपेंद्र ने बताया कि यह ट्रेनिंग न केवल आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए है, बल्कि आग की घटनाओं की रोकथाम और नियमित जांच प्रणाली को भी मजबूत करने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
देशव्यापी कवरेज: बड़े संस्थानों में होगी तैनाती
यह फायर विंग अब देशभर के संवेदनशील और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में तैनात की जाएगी, जैसे:
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इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली)
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मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु एयरपोर्ट
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BARC जैसे परमाणु संस्थान
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DRDO, ISRO, और HAL जैसे रक्षा प्रतिष्ठान
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तेल रिफाइनरी, स्टील प्लांट और कोयला खदानें
इन जगहों पर तैनात जवान अब आतंकवाद और सुरक्षा खतरों के साथ-साथ फायर रिस्क और इंडस्ट्रियल डिजास्टर से भी निपटने में सक्षम होंगे।
CISF का बयान: हर चुनौती के लिए तैयार
CISF प्रवक्ता सरोज भूपेंद्र ने न्यूज़ 24 से बातचीत में कहा:
"CISF देश की एकमात्र ऐसी CAPF (Central Armed Police Force) है, जिसके पास एक समर्पित फायर विंग है। हम अपने अग्निशमन कर्मियों के तकनीकी कौशल को लगातार अपडेट कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि हर जवान न केवल आग बुझाने में दक्ष हो, बल्कि संभावित खतरे की पहचान कर उसे समय रहते रोक भी सके।"
उन्होंने यह भी कहा कि CISF के फायर ट्रेनिंग प्रोग्राम को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपडेट किया जाता है, ताकि जवानों को वैश्विक स्तर पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।
रोजगार, दक्षता और आत्मनिर्भरता की ओर कदम
CISF का यह कदम देश में अग्निशमन सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने और युवा सैनिकों को बहुआयामी जिम्मेदारियों के लिए प्रशिक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल जवानों की कार्यकुशलता बढ़ेगी, बल्कि संस्थानों में सुरक्षा से जुड़ी कॉम्प्रिहेंसिव रिस्पॉन्स स्ट्रेटेजी भी बनेगी।
निष्कर्ष: आग से लड़ने को तैयार CISF का नया चेहरा
CISF की यह पहल सिर्फ एक ट्रेनिंग कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था का विस्तार है। अब जवान बंदूक और बैरिकेड्स के साथ-साथ फायर सूट और हाई-प्रेशर वॉटर कैनन के साथ भी तैयार रहेंगे। यह पहल दर्शाती है कि देश की सुरक्षा नीति अब सिर्फ आंतरिक खतरे तक सीमित नहीं रही, बल्कि आपदा प्रबंधन और तकनीकी सक्षमता पर भी उतना ही ज़ोर दिया जा रहा है।
"CISF का नया अवतार सिर्फ सुरक्षा नहीं, सुरक्षा+सेवा का संदेश देता है।"
हर एयरपोर्ट, हर प्लांट, और हर सार्वजनिक स्थान अब और सुरक्षित होगा, क्योंकि वहां तैनात होंगे—आग से भी लड़ने को तैयार सिपाही।