मुंबई, 16 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गाजा के खान यूनिस शहर में बुधवार को एक राहत वितरण केंद्र पर मची भगदड़ और हिंसा में 43 लोगों की जान चली गई। इनमें से 21 लोग खाना लेने की कोशिश में मारे गए, जबकि 15 लोग भगदड़ में कुचलकर मारे गए। घटना गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) के केंद्र पर हुई, जिसे इजराइली सेना संचालित करती है और जिसे अमेरिका से समर्थन प्राप्त है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस घटना को जानबूझकर किए गए नरसंहार की संज्ञा दी और इसके लिए इजराइल और अमेरिका को दोषी ठहराया। मंत्रालय ने दावा किया कि यह हमला भूखे लोगों को मारने की साजिश का हिस्सा है। दूसरी ओर GHF ने हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत की पुष्टि की है और इसके लिए हमास से जुड़े तत्वों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
संयुक्त राष्ट्र पहले ही GHF के इन केंद्रों को मौत का जाल बता चुका है। रिपोर्ट्स के अनुसार मई के अंत से अब तक इन राहत केंद्रों पर या उनके आसपास 870 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। गाजा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने पहले इजराइल पर आरोप लगाया था कि GHF की ओर से दी जाने वाली राहत सामग्री में नशीली दवाएं छुपाकर दी जा रही हैं। ऑक्सीकोडोन नाम की नशीली गोली को आटे की बोरियों में भरकर बांटा जा रहा है, ताकि फिलिस्तीनियों को नशे का आदी बनाया जा सके। इसे इजराइल की एक रणनीतिक साजिश बताया गया है जिसमें वह नशे को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। गाजा में अक्टूबर 2023 से शुरू हुए युद्ध में अब तक 58,573 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,39,607 लोग घायल हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में ही 94 लोगों की जान गई है और 252 लोग घायल हुए हैं। 18 मार्च के बाद से करीब 7,750 लोगों की मौत हो चुकी है। जंग और पाबंदियों के कारण गाजा में भुखमरी ने विकराल रूप ले लिया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार गाजा के करीब 5 लाख लोग भुखमरी के कगार पर हैं और यदि पाबंदियां नहीं हटाई गईं तो हर पांच में से एक व्यक्ति इसकी चपेट में आ सकता है। गाजा के मीडिया कार्यालय ने दावा किया है कि इजराइली सेना गाजा पट्टी से फिलिस्तीनी आबादी को खाली कराने की योजना के तहत जानबूझकर बमबारी, जबरन बेदखली और राहत रोकने जैसी रणनीतियां अपना रही है। इस हिंसा में अब तक 56,331 फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गाजा की 70% से अधिक इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं और लगभग 85% आबादी यानी करीब 19 लाख लोग बेघर हो चुके हैं।