चाहकर भी इस AI स्टॉक से नजर नहीं फेर पा रहे निवेशक, 55000 का तगड़ा रिटर्न देकर मचा दी खलबली

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Posted On:Wednesday, December 24, 2025

भारतीय शेयर बाजार अपनी अनिश्चितताओं और चौंकाने वाले रिटर्न के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल ही में एक ऐसी कहानी सामने आई है जिसने अनुभवी निवेशकों को भी हैरान कर दिया है। यह कहानी है RRP सेमीकंडक्टर (RRP Semiconductor) की, जिसने महज दो साल से भी कम समय में दुनिया की सबसे बड़ी स्टॉक मार्केट गेनर बनने का गौरव हासिल किया है। 15,000 करोड़ रुपये की मार्केट कैप वाली इस कंपनी ने 17 दिसंबर 2025 तक केवल 20 महीनों में 55,000 परसेंट का अविश्वसनीय रिटर्न दिया है।

नाम बदलते ही बदली किस्मत

इस कंपनी की इस जादुई तेजी के पीछे की सबसे बड़ी वजह इसकी 'रीब्रांडिंग' रही है। पहले इस कंपनी को GD ट्रेडिंग एंड एजेंसीज के नाम से जाना जाता था। भारत सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए शुरू की गई PLI स्कीम्स और इस क्षेत्र की भविष्य की मांग को देखते हुए कंपनी ने अपनी पहचान बदली। एक साधारण ट्रेडिंग फर्म से 'सेमीकंडक्टर' कंपनी के तौर पर पहचान मिलते ही निवेशकों की दिलचस्पी इसमें कई गुना बढ़ गई।

एक्सचेंज डेटा के अनुसार, इस स्टॉक ने एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है। यह लगातार 149 ट्रेडिंग सेशन तक 'अपर सर्किट' पर रहा, जिसका अर्थ है कि हर रोज खरीदार तो थे लेकिन कोई बेचने वाला नहीं था।

सिर्फ दो कर्मचारी और अरबों की वैल्यूएशन

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 15,000 करोड़ रुपये (लगभग 1.8 बिलियन डॉलर) की मार्केट वैल्यू वाली इस कंपनी में केवल दो फुल-टाइम कर्मचारी हैं। तकनीकी रूप से इसके पीछे का तर्क यह है कि कंपनी पहले एक छोटी ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट फर्म के रूप में काम करती थी, जिसे बड़े वर्कफोर्स की जरूरत नहीं थी।

भले ही कंपनी ने अपना नाम बदलकर 'सेमीकंडक्टर' कर लिया है, लेकिन धरातल पर अभी तक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग या उत्पादन की गतिविधियां शुरू नहीं हुई हैं। यही कारण है कि फिलहाल यह कंपनी महज दो लोगों के भरोसे कागजों पर सरपट दौड़ रही है।

कमजोर वित्तीय प्रदर्शन और भारी जोखिम

शेयर की कीमत में आई रॉकेट जैसी तेजी और कंपनी के वास्तविक वित्तीय प्रदर्शन (Fundamentals) के बीच एक गहरी खाई है।

  • घाटे का सौदा: जुलाई-सितंबर 2025 की तिमाही में कंपनी के रेवेन्यू में भारी गिरावट देखी गई और इसे लगभग 7 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ।

  • कम बिक्री: पिछले 12 महीनों में कंपनी की कुल बिक्री मात्र 14 करोड़ रुपये रही, जो इसकी विशाल मार्केट कैप के मुकाबले नगण्य है।

  • अत्यधिक वैल्यूएशन: कंपनी का प्राइस-टू-बुक (P/B) रेश्यो इस वक्त 4 डिजिट (हजारों में) में है। इसका सीधा मतलब है कि निवेशक कंपनी के वास्तविक एसेट्स की तुलना में हजारों गुना अधिक कीमत चुका रहे हैं।

निवेशकों के लिए चेतावनी

RRP सेमीकंडक्टर की यह कहानी शेयर बाजार के उस 'सट्टेबाजी' वाले पहलू को दर्शाती है जहाँ भविष्य की उम्मीदों (जैसे सेमीकंडक्टर बूम) पर शेयर की कीमतें आसमान छूने लगती हैं, भले ही वर्तमान में कंपनी के पास न तो पर्याप्त कर्मचारी हों और न ही कोई उत्पादन इकाई।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे शेयरों में निवेश करना "आग से खेलने" जैसा हो सकता है। जब वैल्यूएशन और वास्तविक प्रदर्शन के बीच इतना बड़ा अंतर हो, तो गिरावट आने पर छोटे निवेशकों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिलता। इसलिए, केवल शेयर की बढ़ती कीमत देखकर फैसला लेने के बजाय, कंपनी के बिजनेस मॉडल, रेवेन्यू और भविष्य की योजनाओं का गहराई से अध्ययन करना अनिवार्य है।

निष्कर्ष: RRP सेमीकंडक्टर का उदाहरण यह सिखाता है कि शेयर बाजार में 'नाम' और 'सेक्टर' की चमक कभी-कभी वास्तविकता को धुंधला कर देती है। 55,000% का रिटर्न आकर्षक जरूर है, लेकिन इसके पीछे छिपे जोखिमों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।


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