भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल लेन-देन को देखते हुए RBI ने फोनपे, पेटीएम, जोमैटो, अमेज़न पे सहित कुल 32 पेमेंट एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। ये दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं और इनका पालन न करने पर कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
तीन श्रेणियों में बांटी गई कंपनियां
RBI ने पेमेंट एग्रीगेटर्स को उनके कार्यों के आधार पर तीन कैटेगरी में विभाजित किया है:
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PA-P (Physical PA) – जो फिजिकल रूप से पेमेंट सुविधा देते हैं।
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PA-O (Online PA) – जो ऑनलाइन पेमेंट प्रोसेसिंग करते हैं।
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PA-CB (Cross Border PA) – जो क्रॉस-बॉर्डर लेन-देन से संबंधित हैं।
बैंकों को इन कार्यों के लिए अलग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए RBI ने अनिवार्य नियम लागू कर दिए हैं।
लाइसेंस लेना हुआ अनिवार्य
सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए RBI ने यह नियम लागू किया है कि कोई भी नॉन-बैंक पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस के बिना ट्रांजेक्शन सर्विस नहीं दे सकेगा। इससे साइबर फ्रॉड और डेटा चोरी जैसी समस्याओं पर अंकुश लगेगा। यदि कोई कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो उसकी सेवाएं रद्द की जा सकती हैं।
नेटवर्थ से जुड़े नियमों में बदलाव
पहले पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए मिनिमम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपये निर्धारित थी, जिसे मार्च 2021 तक हासिल करना और बनाए रखना था। अब नए नियमों के अनुसार, यह नेटवर्थ अगले तीन वर्षों में बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करनी होगी।
आवेदन की अंतिम तिथि तय
RBI ने लाइसेंस के लिए आवेदन की समयसीमा कई बार बढ़ाई थी, लेकिन अब यह स्पष्ट कर दिया गया है कि सभी मौजूदा पेमेंट एग्रीगेटर्स को 31 दिसंबर 2025 तक लाइसेंस के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा। इस समयसीमा के बाद किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी।
सर्विस बंद होने की चेतावनी
अगर कोई कंपनी इन निर्देशों का पालन नहीं करती है, तो 28 फरवरी 2026 तक उनकी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि केवल वही कंपनियां डिजिटल पेमेंट सेवाएं दें, जो नियमों के अनुसार संचालित हो रही हों।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
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क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शन की अधिकतम सीमा अब 25 लाख रुपये तय कर दी गई है।
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ट्रांसफर किए गए पैसे को एस्क्रो अकाउंट में रखना अनिवार्य होगा, जिससे ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष
RBI का यह कदम डिजिटल पेमेंट सेक्टर में भरोसे और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित और नियंत्रित पेमेंट सिस्टम मिलेगा, और कंपनियों को सख्त निगरानी में काम करना होगा। डिजिटल इंडिया के इस युग में यह गाइडलाइन ग्राहकों और व्यापारियों दोनों के हित में है।