भारत और न्यूजीलैंड ने अपने आर्थिक रिश्तों को एक नई ऊंचाई देते हुए मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement - FTA) पर मुहर लगा दी है। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापारिक बाधाओं को कम करने और द्विपक्षीय कारोबार को नई गति देने के उद्देश्य से किया गया है। जहां एक ओर यह डील भारतीय उपभोक्ताओं और न्यूजीलैंड के निर्यातकों के लिए खुशखबरी लेकर आई है, वहीं न्यूजीलैंड के भीतर ही इस पर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
विंस्टन पीटर्स का कड़ा विरोध: "न फ्री, न फेयर"
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स (Winston Peters) ने इस ऐतिहासिक डील को लेकर अपना कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने इस समझौते की कड़ी आलोचना करते हुए इसे 'बकवास' करार दिया। पीटर्स का मानना है कि यह समझौता न्यूजीलैंड के हितों की रक्षा करने में विफल रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा: "न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी भारत के साथ घोषित इस व्यापार समझौते का विरोध करती है। हमारी नजर में यह डील न तो 'फ्री' है और न ही 'फेयर'।"
पीटर्स की मुख्य चिंता इमिग्रेशन और बदले में मिलने वाले लाभों को लेकर है। उनका तर्क है कि न्यूजीलैंड ने भारत को बहुत कुछ दे दिया है, लेकिन बदले में उसके सबसे मजबूत सेक्टर—डेयरी—को इस समझौते से बाहर रखा गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि जब यह डील संसद में पेश होगी, तो उनकी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी।
डेयरी सेक्टर: भारत की लक्ष्मण रेखा
न्यूजीलैंड दुनिया के सबसे बड़े डेयरी निर्यातकों में से एक है और वह लंबे समय से भारत के विशाल डेयरी बाजार में पहुंच चाहता था। हालांकि, भारत सरकार ने अपने 70 मिलियन (7 करोड़) छोटे और सीमांत डेयरी किसानों के हितों की रक्षा के लिए इस सेक्टर को FTA के दायरे से पूरी तरह बाहर रखा है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने डेयरी सेक्टर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं खोलेगा, क्योंकि यह लाखों परिवारों की आजीविका का मुख्य आधार है।
FY2025 में सीमित डेयरी कारोबार का ब्यौरा:
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कुल डेयरी निर्यात: 1.07 मिलियन डॉलर (न्यूजीलैंड से भारत)
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दूध और क्रीम: 0.40 मिलियन डॉलर
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नैचुरल शहद: 0.32 मिलियन डॉलर
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मोजेरेला चीज: 0.18 मिलियन डॉलर
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत केवल चुनिंदा उत्पादों की ही अनुमति देता है। यही कारण है कि अमेरिका के साथ भी भारत की ट्रेड डील इसी मुद्दे पर अटकी हुई है।
आम उपभोक्ताओं के लिए फायदे का सौदा
इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड से भारत आने वाले लगभग 95% उत्पादों पर टैरिफ (टैक्स) शून्य या बहुत कम कर दिया जाएगा। इसका सीधा लाभ भारतीय मध्यम वर्गीय परिवारों और उपभोक्ताओं को मिलेगा:
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सस्ते फल: न्यूजीलैंड से आने वाले उच्च गुणवत्ता वाले सेब और कीवी के दाम काफी कम हो जाएंगे।
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कच्चा माल: फर्नीचर के लिए लकड़ी और उच्च गुणवत्ता वाली ऊन का आयात सस्ता होगा, जिससे स्थानीय उद्योगों को लाभ मिलेगा।
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विदेशी उत्पाद: मध्यम वर्ग की पहुंच में अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद अधिक आसानी से आ सकेंगे।