हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को घरेलू शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। आईटी, मेटल और ऑटो सेक्टर के शेयरों में मजबूत खरीदारी के चलते बाजार लगातार दूसरे दिन मजबूती के साथ बंद हुआ। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 638.12 अंकों की बढ़त के साथ 85,567.48 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि एनएसई का निफ्टी-50 भी 206 अंक चढ़कर 26,172.40 पर पहुंच गया। दिनभर के कारोबार में बाजार में सकारात्मक माहौल बना रहा और निवेशकों की धारणा मजबूत नजर आई।
बाजार की इस मजबूती के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारकों की अहम भूमिका रही। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, वैश्विक बाजारों से मिले सकारात्मक संकेत और वित्तीय सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया। इन कारणों से जोखिम वाले एसेट्स में दोबारा दिलचस्पी देखने को मिली, जिसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा।
आईटी और मेटल शेयरों ने दिया बाजार को सहारा
कारोबार के दौरान आईटी और मेटल शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। आईटी कंपनियों को अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े बेहतर संकेतों और डॉलर के मुकाबले रुपये में स्थिरता से समर्थन मिला। वहीं मेटल शेयरों में वैश्विक मांग में सुधार और चीन से जुड़े सकारात्मक संकेतों के चलते खरीदारी बढ़ी। ऑटो सेक्टर के शेयरों में भी मजबूती रही, जहां घरेलू मांग और बेहतर बिक्री अनुमानों ने निवेशकों को आकर्षित किया।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के हेड ऑफ रिसर्च विनोद नायर के अनुसार, साल के आखिर में वैश्विक मौद्रिक नरमी और निवेश के लिए उपलब्ध पूंजी ने बाजार को सहारा दिया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से बिकवाली कर रहे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की दोबारा खरीदारी ने भी बाजार की धारणा को मजबूती दी है। एफआईआई की वापसी को बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, क्योंकि इससे लंबे समय के निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
वैश्विक संकेतों का असर
वैश्विक स्तर पर भी बाजारों में सकारात्मक रुख देखने को मिल रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती के संकेतों से दुनियाभर के शेयर बाजारों को समर्थन मिला है। इसके अलावा यूरोप और एशिया के बाजारों से मिले बेहतर संकेतों ने भी भारतीय बाजार को मजबूती दी। निवेशक मान रहे हैं कि अगर वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों का दबाव कम होता है, तो उभरते बाजारों में पूंजी का प्रवाह और तेज हो सकता है।
दूसरी ओर, केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी के चलते सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई के आसपास बनी हुई हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि जहां एक तरफ निवेशक इक्विटी बाजार में अवसर देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे सुरक्षित निवेश विकल्पों को भी नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। सोने में बनी मजबूती वैश्विक अनिश्चितताओं को भी दर्शाती है।
निवेशक अब भी सतर्क
हालांकि बाजार में तेजी का माहौल है, लेकिन निवेशक पूरी तरह निश्चिंत नहीं हैं। वे आगे की दिशा तय करने के लिए कई अहम संकेतों का इंतजार कर रहे हैं। खास तौर पर जीडीपी के तीसरी तिमाही के आंकड़े, नीतिगत स्पष्टता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों से जुड़ी प्रगति पर बाजार की नजर बनी हुई है। इन कारकों से यह तय होगा कि मौजूदा तेजी आगे भी जारी रह पाएगी या नहीं।
इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव जैसे जोखिम भी निवेशकों को सतर्क रहने पर मजबूर कर रहे हैं। मध्य-पूर्व और अन्य क्षेत्रों में बढ़ती अनिश्चितताओं का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ सकता है, जिसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख सकता है।
सतर्क आशावाद का माहौल
कुल मिलाकर, घरेलू शेयर बाजार में फिलहाल सतर्क आशावाद का माहौल बना हुआ है। मजबूत वैश्विक संकेत, एफआईआई की वापसी और चुनिंदा सेक्टर्स में खरीदारी ने बाजार को सहारा दिया है। हालांकि आगे की तेजी इस बात पर निर्भर करेगी कि आर्थिक आंकड़े और नीतिगत संकेत किस दिशा में जाते हैं। निवेशकों के लिए यह समय अवसरों के साथ-साथ सतर्कता बरतने का भी है, ताकि वे बाजार की बदलती परिस्थितियों के अनुसार सही रणनीति अपना सकें।