उदयपुर के जनाना अस्पताल (MB Hospital) में नवजात शिशुओं की अदला-बदली के एक हैरान कर देने वाले मामले में, गहन जांच के बाद आखिरकार जन्म देने वाली माताओं की पहचान कर ली गई है। गुरुवार को, अस्पताल प्रशासन ने पुष्टि और सहमति के बाद दोनों नवजात शिशुओं को उनके वास्तविक माता-पिता को सौंप दिया। यह घटनाक्रम अस्पताल स्टाफ की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है, जिसकी जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय कमेटी गठित की गई है।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. आर.एल. सुमन ने बताया कि मीरा नगर निवासी अनिता रावत को उनकी बेटी और चित्तौड़गढ़ निवासी रामेश्वरी सोनी को उनका नवजात बेटा सुपुर्द किया गया। दोनों परिवार इस आंतरिक जांच के नतीजों से संतुष्ट हो गए हैं, हालांकि डीएनए (DNA) जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
पहचान के लिए अपनाए गए वैज्ञानिक तरीके
बच्चों की सही माताओं की पुष्टि करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने कई वैज्ञानिक और दस्तावेजी साक्ष्यों की जांच की। डॉ. सुमन ने बताया कि पहचान के लिए निम्नलिखित तथ्यों का गहन अध्ययन किया गया:
दोनों बच्चों का ब्लड ग्रुप (Blood Group)।
दोनों प्रसूताओं की सोनोग्राफी (Sonography) रिपोर्ट।
नवजात के जन्म की तिथि और समय सहित अन्य नैदानिक तथ्यों की विस्तृत जांच।
डॉ. सुमन ने कहा, "इन सभी तथ्यों की जांच के बाद बच्चे को जन्म देने वाली मां की पुष्टि हुई। पेरेंट्स भी इस बात पर संतुष्ट हो गए।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डीएनए जांच रिपोर्ट लगभग 15 दिन बाद आएगी, और माता-पिता चाहें तो अंतिम सहमति के लिए उस रिपोर्ट का इंतजार कर सकते हैं।
ऑपरेशन थिएटर में हुई गंभीर चूक
यह पूरा विवाद बुधवार को तब शुरू हुआ जब अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर (OT) में दोपहर करीब 12 बजे आधे घंटे के अंतराल में दो महिलाओं की डिलीवरी हुई। इनमें से एक ने बेटे को और दूसरी ने बेटी को जन्म दिया था। विवाद का मुख्य कारण यह था कि ऑपरेशन थिएटर से बाहर आकर अस्पताल स्टाफ ने दोनों नवजात के परिजन को गलत सूचना दे दी। बेटी के जन्म की सूचना गलती से बेटे के परिजन को दे दी गई। बेटे के जन्म की सूचना गलती से बेटी के परिजन को दे दी गई।
अस्पताल स्टाफ द्वारा गलती स्वीकारने और डॉक्टरों द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद, दोनों परिवार अपनी बात पर अड़े रहे और मानने को तैयार नहीं थे कि उनके बच्चे बदल दिए गए हैं। दोनों परिवारों ने बेटे के जन्म का दावा करते हुए अस्पताल परिसर में हंगामा कर दिया, जिसके बाद हाथीपोल थाना पुलिस को स्थिति शांत करने के लिए मौके पर पहुँचना पड़ा।
लापरवाही की जांच के लिए कमेटी गठित
इस गंभीर प्रशासनिक चूक और अस्पताल स्टाफ की लापरवाही को देखते हुए, आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. विपिन माथुर के निर्देश पर एक जांच कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी इस बात का पता लगाएगी कि बच्चों की अदला-बदली जैसी बड़ी गलती क्यों और कैसे हुई। जांच रिपोर्ट आने के बाद इस घटना के लिए जिम्मेदार दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, अस्पताल प्रशासन ने मामले को शांत कर लिया है, और शिशुओं को उनके सही परिवारों को सौंप दिया गया है, लेकिन यह घटना सरकारी अस्पतालों में प्रसव के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल और स्टाफ प्रशिक्षण पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है।