जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर में सरकारी जमीन पर फर्जी पट्टे जारी करने के मामले ने बड़ा तूल पकड़ लिया है। स्वायत्त शासन विभाग ने कार्रवाई करते हुए नगर निगम हेरिटेज के चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। इन पर करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन के सर्वे नंबर में हेरफेर कर पट्टे देने का आरोप है। सस्पेंड होने वालों में लैंड उपायुक्त हंसा मीणा समेत कनिष्ठ अभियंता, लेखाकार और सहायक शामिल हैं। मामला उस समय उजागर हुआ जब स्थानीय पार्षद और आम लोगों ने शिकायत दर्ज कराई।
जांच में सामने आया कि जिन जमीनों को निगम संपत्ति के तौर पर रजिस्टर किया गया था, उन्हें ही नियमों के खिलाफ निजी लोगों को दे दिया गया। कुल 35 में से 10 जमीनों की बाकायदा रजिस्ट्री भी करवा दी गई थी। इस गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर निगम आयुक्त ने एक जांच समिति गठित की, जिसने इन चारों अधिकारियों को दोषी पाया और उनके निलंबन की सिफारिश की। फिलहाल इन सभी को बीकानेर अटैच किया गया है।
गौर करने वाली बात ये है कि लैंड उपायुक्त हंसा मीणा पहले भी विवादों में रही हैं। एक बार उनका तबादला किया गया था लेकिन उन्होंने कोर्ट से स्टे लेकर फिर से निगम में वापसी की थी। अब एक बार फिर उन पर गंभीर आरोप लगे हैं। विभागीय जांच में दोष साबित होने के बाद उन्हें निलंबित किया गया है। एडिशनल डायरेक्टर श्याम सिंह शेखावत ने साफ कहा कि सरकारी जमीन के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करना एक बड़ा अपराध है और बाकी दोषियों पर भी कार्रवाई तय है।
स्थानीय पार्षद सुभाष व्यास का कहना है कि ये घोटाला चार अधिकारियों तक सीमित नहीं है, इसके पीछे और भी ताकतवर लोग हैं जो संरक्षण दे रहे थे। उन्होंने मांग की है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जिनकी वजह से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है, उन्हें जेल भेजा जाए। इस प्रकरण से सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की परतें एक बार फिर उजागर हो गई हैं।