जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा की मौत ने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया है। नौ साल की यह मासूम बच्ची एक नवंबर को स्कूल की चौथी मंजिल से कूद गई थी। शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन परिजनों के आरोप और सोशल मीडिया पर उमड़े आक्रोश ने इस मामले को रहस्यमय बना दिया। अब हर तरफ एक ही मांग गूंज रही है—“अमायरा को न्याय दो।”
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर गुस्सा और दुख की लहर दौड़ गई। “स्कूल में सुरक्षित बचपन” और “बुलिंग बंद करो” जैसे हैशटैग्स देशभर में ट्रेंड कर रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि इतने बड़े नाम वाले स्कूल में अगर एक बच्ची सुरक्षित नहीं है, तो बाकी बच्चों का क्या होगा। एक वायरल ऑडियो क्लिप में अमायरा अपनी मां से कहती सुनाई दी—“मां, मुझे स्कूल मत भेजो… वहां परेशान करते हैं।” इस मासूम आवाज़ ने हर किसी को भीतर तक हिला दिया।
अमायरा की मौत ने स्कूलों में बुलिंग, मानसिक उत्पीड़न और सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों में बच्चों पर पढ़ाई का दबाव तो डाला जाता है, लेकिन उनकी भावनाओं को नज़रअंदाज़ किया जाता है। कई लोगों ने मांग की है कि हर स्कूल में मानसिक परामर्श केंद्र और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य किया जाए। सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है—“अगर बच्चों की आवाज़ नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी त्रासदियां रुकेंगी नहीं।”
इस बीच, राजस्थान सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षा विभाग और सीबीएसई की संयुक्त टीम ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने परिजनों से मिलकर कहा कि दोषियों को सज़ा मिलेगी। वहीं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सभी स्कूलों में सुरक्षा मानकों की समीक्षा के निर्देश दिए हैं। लेकिन लोगों का कहना है—“अब बयान नहीं, कार्रवाई चाहिए।” सोशल मीडिया पर चल रहा संदेश यही है—“अमायरा अब लौट नहीं सकती, लेकिन उसकी मौत को बदलाव की शुरुआत बनना चाहिए।”