जयपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) द्वारा 14 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित होने वाली 'वोट चोर-गद्दी छोड़' महारैली की तैयारियों को लेकर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (RPCC) पूरी तरह सक्रिय हो गई है। रविवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर में RPCC अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने रैली और प्रदेश में चल रहे एसआईआर (SIR) कार्यक्रम की समीक्षा के लिए कांग्रेस विधायक, विधायक प्रत्याशियों और जिला प्रभारी पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक ली। इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष श्री टीकाराम जूली सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
8 दिसंबर तक वाहनों की सूची जमा करने के निर्देश
प्रदेशाध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने रैली में राजस्थान से रिकॉर्ड भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी विधायक और जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया कि वे 8 दिसंबर तक अपने-अपने क्षेत्रों से रैली में शामिल होने वाले वाहनों की विस्तृत सूची प्रदेश कांग्रेस वार रूम को सौंप दें।
इस सूची में निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिए:
रैली में शामिल होने वाले वाहनों की संख्या।
वाहनों के नंबर।
वाहन ले जाने वाले व्यक्ति का नाम और मोबाइल नंबर।
डोटासरा ने कहा कि सभी जिलों से मण्डल अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष अपना वाहन लेकर रैली में आवश्यक रूप से शामिल होंगे, और जिला कांग्रेस कमेटी के सभी पदाधिकारियों की रैली में उपस्थिति अनिवार्य है। उन्होंने दावा किया कि रैली में सर्वाधिक भागीदारी राजस्थान के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की रहेगी, और इसके लिए सभी को तैयारियों में तुरंत जुट जाने को कहा गया है।
9 दिसंबर को होगी अंतिम समीक्षा
गोविन्द सिंह डोटासरा ने बताया कि 9 दिसंबर को कांग्रेस महासचिव (संगठन) श्री के. सी. वेणुगोपाल प्रदेश कांग्रेस की एक बैठक लेंगे। इस बैठक में रैली की तैयारियों की अंतिम समीक्षा की जाएगी, और उन्हें प्रदेश कांग्रेस द्वारा रैली में भाग लेने के लिए जाने वाले सभी वाहनों की विधानसभावार सूची सौंपी जाएगी।
दूरस्थ जिलों से डिजिटल माध्यम से चर्चा
दिन में हुई मुख्य बैठक के अलावा, प्रदेशाध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने दूरस्थ जिलों के प्रमुख कांग्रेस नेताओं, विधायकों और जिलाध्यक्षों के साथ शाम 4 बजे डिजिटल माध्यम से एक और बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य रैली की तैयारियों से संबंधित दिशा-निर्देशों को प्रभावी ढंग से प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचाना और उनकी तैयारियों का जायजा लेना था। राजस्थान कांग्रेस इस महारैली को हालिया चुनावों के बाद अपनी ताकत दिखाने और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के एक बड़े राजनीतिक मंच के रूप में देख रही है।