तमिलनाडु: 5 साल के मासूम के गले में अटका केला, तड़प-तड़प कर हुई मौत

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Posted On:Friday, December 5, 2025

तमिलनाडु के इरोड जिले से एक बेहद दर्दनाक और हृदय विदारक घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। इरोड के अन्नाई सत्य नगर में, केला खाने के दौरान दम घुटने से महज पाँच साल के मासूम साईशरण की मौत हो गई। यह घटना दिखाती है कि बच्चों को खाना खिलाते समय कितनी अधिक सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

सदमे में परिवार, रो-रोकर बुरा हाल

मृतक बच्चे के पिता मणिक्कम और माता महालक्ष्मी दिहाड़ी मजदूर हैं। इस दुखद हादसे ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया है। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है और वे इस अचानक आई विपदा को सह नहीं पा रहे हैं। उनकी मासूमियत और लापरवाही के बीच हुई इस मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दिया है।

क्या थी पूरी घटना?

यह घटना मंगलवार रात की है। साईशरण, जो आमतौर पर अपने माता-पिता के काम पर होने के कारण अपनी दादी के साथ रहता था, को दादी ने केला खाने के लिए दिया। केला खाते समय अचानक केले का एक टुकड़ा उसके गले में फँस गया। बच्चे को तुरंत साँस लेने में तकलीफ होने लगी और उसका दम घुटने लगा।

बच्चे की बिगड़ती हालत देखकर परिजन घबरा गए। उन्होंने पड़ोसी की मदद ली और तत्काल बच्चे को इरोड के एक निजी अस्पताल ले गए। बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए, निजी अस्पताल ने उसे तुरंत जिला अस्पताल (सरकारी अस्पताल) रेफर कर दिया।

विडंबना देखिए, जिला अस्पताल ले जाने के रास्ते में ही साईशरण ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। अस्पताल पहुँचने पर, डॉक्टरों ने जाँच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इस दुखद मामले की सूचना पर करुंगलपलायम पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है।

डॉक्टरों की सलाह: 'टुकड़ों में दें खाना और तुरंत करें यह उपाय'

यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि बच्चों को खाना खिलाते समय कितनी सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टरों ने इस पर महत्वपूर्ण सलाह दी है:

  • छोटे टुकड़ों में दें: डॉक्टरों का स्पष्ट कहना है कि छोटे बच्चों को खाने की चीजें, खासकर फल या ठोस आहार, हमेशा छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर देनी चाहिए। इससे वे उसे आसानी से निगल पाते हैं और गले में फँसने का खतरा कम हो जाता है।

  • तुरंत प्राथमिक उपचार: यदि बच्चे के गले में खाना फँस जाए और उसका दम घुटने लगे, तो माता-पिता या अभिभावकों को तुरंत उसकी पीठ को थपथपाना चाहिए। यह एक प्राथमिक उपचार है जो ग्रासनली में फँसी हुई चीज को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।

  • विलंब न करें: डॉक्टरों के अनुसार, दम घुटने के ऐसे मामलों में समय ही जीवन बचाता है। अगर बच्चे को तुरंत सही इलाज या प्राथमिक उपचार मिल जाता, तो शायद साईशरण की जान बचाई जा सकती थी।

साईशरण की यह दर्दनाक मौत उन सभी माता-पिता के लिए एक सबक है जो छोटे बच्चों को खाना खिलाते हैं। थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता एक मासूम की जान बचा सकती है।


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