निश्चित रूप से, आपके द्वारा दिए गए इनपुट और आज की तिथि (29 नवंबर 2025) के आधार पर, यहाँ हनुमान जी और शनि देव को समर्पित शनिवार के विस्तृत पंचांग की जानकारी दी गई है।
पंचांग- 29.11.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ शुक्ल पक्ष
वार __ शनिवार
तिथि - नवमी 23:14:30
नक्षत्र पूर्वभाद्रपदा 26:21:37*
योग हर्शण 09:25:59
करण बालव 11:50:23
करण कौलव 23:14:30
चन्द्र राशि - कुम्भ till 20:32
चन्द्र राशि - मीन from 20:32
सूर्य राशि - वृश्चिक
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉🏻 पंचक अहोरात्र
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती/ व्यतिपात पुण्यम्
01/12/25 (सोमवार)
👉🏻 व्यंजन द्वादशी / प्रदोष व्रत
02/12/25 (मंगलवार)
👉🏻 सत्य पूर्णिमा व्रत
04/12/25 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉
प्रभु कैसा धन स्वीकारते हैं
.
एक नगर में एक सेठ रहता था जिसके पास एक व्यक्ति काम करता था जो भगवान का बहुत बड़ा भक्त था।
.
वह सदा भगवान के भजन कीर्तन सत्संग आदि का लाभ लेता रहता था।
.
सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था जो भी जरुरी काम हो वह सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था
.
एक दिन उस व्यक्ति ने सेठ से सोमनाथ यात्रा करने के लिए कुछ दिन की छुट्टी मांगी।
.
सेठ जी ने उसे छुट्टी देते हुए कहा भाई मैं तो हमेशा अपने व्यापार के काम में व्यस्त रहता हूं जिसके कारण कभी तीर्थ यात्रा का लाभ नहीं ले पाता।
.
सेठ ने उस व्यक्ति से कहा तुम जा ही रहे हो तो यह लो 10 मुद्रा मेरी ओर से श्री सोमनाथ प्रभु के चरणों में समर्पित कर देना।
.
भक्त सेठ से 10 मुद्रा लेकर सोमनाथ यात्रा पर निकल गया..
.
कई दिन की पैदल यात्रा करने के बाद वह श्री सोमनाथ पहुंच ही गया !
.
मंदिर की ओर प्रस्थान करते समय उसने रास्ते में देखा कि कुछ बच्चे भोजन के लिए तरस रहे थे और भोलेनाथ का नाम लेकर भिक्षा मांग रहे थे।
.
वह बच्चे काफी दुखी लग रहे थे। सभी की आंखों से अश्रु धारा बह रही थी। यह देखकर उस भक्त के मन में दया आ गयी..
.
उस व्यक्ति ने सोचा क्यों ना सेठ के 10 मुद्रा से इन बच्चो को भोजन करा दूँ। और उसने वैसा ही किया.. उन सभी बच्चो को उन 10 मुद्रा में से भोजन की व्यवस्था कर दी।
.
सभी बच्चे को भोजन कराने में उसे कुल 8 मुद्राए खर्च करने पड़े। उसके पास केवल अब दो मुद्राए बच गए थी..
.
उसने सोचा चलो अच्छा हुआ दो मुद्रा सोमनाथ के चरणों में सेठ जी के नाम से चढ़ा दूंगा.. जब सेठजी पूछेंगे तो मैं कहूंगा वह मुद्राए चढ़ा दी।
.
उस व्यक्ति ने सोचा की यह झूठ भी नहीं होगा और काम भी हो जाएगा।
.
उस भक्त ने सोमनाथ जी के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश किया.. श्री सोमनाथ जी के दर्शन करते हुए भोलेनाथ को अपने हृदय में विराजमान कराया।
.
और अंत में उसने सेठजी की वह बची हुए दो मुद्राए भी सोमनाथ महादेव के चरणो में चढ़ा दी। और बोला यह दो मुद्राए सेठजी ने भेजी हैं।
.
सदभाग्य से उसी रात सेठ जी के स्वप्न में भगवान् शिव आए और आशीर्वाद देते हुए बोले..
.
सेठ जी तुम्हारी 8 मुद्राए मुझे मिल गई है.. यह कहकर भगवान् शिव अंतर्ध्यान हो गए।
.
सेठ जी अचानक स्वप्न से जाग गए और सोचने लगे मेरा नौकर तौ बड़ा ईमानदार है, पर अचानक उसे क्या जरुरत पड़ गई की उसने दो मुद्राए भगवान को कम चढ़ाई?
.
उसने दो मुद्रा का क्या किया होगा ?
.
अब काफी दिन बीतने के बाद भक्त वापस आया और सेठ के पास पहुंचा। सेठ ने कहा कि मेरे पैसे भगवान् शिव को चढ़ा दिए थै ? भक्त बोला हां मैंने पैसे चढ़ा दिए ।
.
सेठ ने कहा पर तुमने 8 मुद्राए क्यों चढ़ाईं.. दो मुद्राए किस काम में प्रयोग की।
.
तब भक्त ने सारी बात बताई की उसने 8 मुद्राए से भूखे बच्चो को भोजन करा दिया था। और भगवान् शिव को केवल दो मुद्रा ही चढ़ाई थी।
.
सेठ सारी बात समझ गया और भक्त के चरणों में गिर पड़ा और बोला.. आप धन्य हो आपकी वजह से मुझे भगवान् शिव के दर्शन हो गए !
.
सत्य तो यह हे की भगवान को आपके धन की कोई आवश्यकता नहीं है। भगवान को वह 8 मुद्राए स्वीकार है जो जीव मात्र की सेवा में खर्च किए गए।
.
प्रभु प्रेमियों, जीव मात्र की सेवा करने से ही प्रभु की प्राप्ति का द्वार खुलता है। क्योंकि हर जीव में परमात्मा का वास होता है।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)