Jaipur : सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत अत्यधिक महत्व रखता है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है और इस दिन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से यह व्रत करने और माँ दुर्गा की आराधना करने वाले भक्तों को जीवन की सभी समस्याओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार 28 नवंबर 2025 (आज) को मार्गशीर्ष (अगहन) माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर यह विशेष व्रत रखा जा रहा है, जिसे मासिक दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
पंचांग- 28.11.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ शुक्ल पक्ष
वार __ शुक्रवार
तिथि - अष्टमी 24:14:43
नक्षत्र शतभिष 26:48:40
योग व्याघात 11:04:19
करण विष्टि भद्र 12:27:35
करण बव 24:14:43
चन्द्र राशि - कुम्भ
सूर्य राशि - वृश्चिक
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉🏻 दुर्गाष्टमी
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती/ व्यतिपात पुण्यम्
01/12/25 (सोमवार)
👉🏻 व्यंजन द्वादशी / प्रदोष व्रत
02/12/25 (मंगलवार)
👉🏻 सत्य पूर्णिमा व्रत
04/12/25 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉
|| भूल जाना भी कला है ||
🌞 तीव्र स्मरण शक्ति यदि जीवन का वरदान है तो कुछ बातों को विस्मृत करना भी जीवन की एक श्रेष्ठ कला है। जीवन को सब कुछ याद रखकर ही आनंदपूर्ण नहीं बनाया जाता अपितु जीवन को आनंदमय बनाने के लिए बहुत कुछ विस्मृत भी करना पड़ता है। हम बच्चों को बहुत सारी बातें सिखाते हैं, लेकिन उनसे कुछ नहीं सीख पाते। बच्चों से भूलने की कला भी हमको सीखनी चाहिए।
🌞 हम बच्चों पर गुस्सा करते हैं, उन्हें डांटते भी है, लेकिन बच्चे थोड़ी देर बाद उस बुरे अनुभव को भूल जाते हैं। इसी तरह जो बुरा है, जो गलत है, जो कड़वा है, जो स्मृतियाँ हमारे जीवन आनंद में विघ्न उपस्थित करने वाली हैं, उसे भूल जाना भी जीवन की एक श्रेष्ठ कला है। जो जितना बुरी स्मृतियों को पकड़ा रहता है, वो उतना ही दुःखों से जकड़ा रहता है। मधुर स्मृतियाँ भी जीवन को मधुरता प्रदान करती हैं।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)