लद्दाख के लेह में हाल ही में हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गैर-लाभकारी संस्था (NGO) का विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) पंजीकरण रद्द कर दिया है। सरकार ने आरोप लगाया है कि वांगचुक के संगठन ने FCRA नियमों का ‘बार-बार’ उल्लंघन किया है। यह कदम लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के 24 घंटे के भीतर लिया गया, जो कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए थे।
हिंसक प्रदर्शन और सरकार की प्रतिक्रिया
लेह में हुए हिंसक प्रदर्शन लद्दाख के राजनीतिक भविष्य को लेकर काफी संवेदनशील थे। इन प्रदर्शनों में स्थानीय भाजपा कार्यालय और लद्दाख चुनाव अधिकारी पर हमला किया गया था। गृह मंत्रालय ने इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने लोगों को उकसाया और तनावपूर्ण माहौल पैदा किया। प्रदर्शनकारियों ने राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ ही कई अन्य स्थानीय मुद्दों को भी उठाया था। हालांकि, इस हिंसा के बाद वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल भी खत्म कर दी थी।
FCRA पंजीकरण रद्द करने का आरोप
सरकार ने वांगचुक के NGO SECMOL के FCRA पंजीकरण को रद्द करते हुए कहा कि संगठन ने नियमों का बार-बार उल्लंघन किया है। पहला बड़ा आरोप संगठन के FCRA खाते में 3.35 लाख रुपये जमा करने को लेकर था, जो एक पुरानी बस की बिक्री से प्राप्त हुआ था। हालांकि, NGO ने दावा किया कि यह पैसा बस की बिक्री से आया था, जिसे पहले FCRA फंड के जरिए खरीदा गया था। लेकिन नियमों के अनुसार, ऐसे लेनदेन को भी FCRA नियमों के तहत ही मानना होता है, और इस मामले में अनियमितताओं का संदेह जताया गया।
सोनम वांगचुक की भूमिका और आंदोलन
सोनम वांगचुक लद्दाख के सामाजिक और राजनीतिक मामलों में एक महत्वपूर्ण आवाज माने जाते हैं। वे केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लंबे समय से संघर्षरत रहे हैं। भूख हड़ताल और सार्वजनिक आंदोलनों के जरिए उन्होंने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उभारा। वांगचुक ने कहा था कि वे गिरफ्तारी के लिए भी तैयार हैं और अगर सरकार ने उन पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की तो वे जेल जाने को भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जेल में बंद रहने पर वे अपने आंदोलन के लिए और अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
विवाद और भविष्य की स्थिति
इस निर्णय से लद्दाख में राजनीतिक और सामाजिक गतिरोध और बढ़ सकता है। सरकार का कहना है कि नियमों का उल्लंघन नहीं बर्दाश्त किया जाएगा, वहीं वांगचुक और उनके समर्थक इसे विरोध करने का एक तरीका मानते हैं। भविष्य में यह देखना होगा कि क्या यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करेगा या नहीं।
निष्कर्ष
लेह में हिंसा और उसके बाद FCRA पंजीकरण रद्द करने का कदम केंद्र सरकार की उस नीति को दर्शाता है जो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त है। वहीं, यह सवाल भी उठता है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ संवाद और राजनीतिक मुद्दों को सुलझाने के लिए क्या बेहतर रणनीति अपनाई जा सकती है। सोनम वांगचुक जैसे नेता क्षेत्रीय मुद्दों को आवाज देने वाले माने जाते हैं, और उनके साथ उचित संवाद स्थापित करना आवश्यक है ताकि क्षेत्र में स्थिरता और विकास हो सके। हालांकि, किसी भी गैरकानूनी गतिविधि को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कानून का पालन सभी के लिए अनिवार्य है। इस मामले में आगे की परिस्थितियां ही तय करेंगी कि लद्दाख का सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य किस दिशा में जाएगा।