लिवरपूल में चल रही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने अपनी शानदार प्रदर्शन से देश का मान बढ़ा दिया है। इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारत की बेटियों ने अब तक चार मेडल पक्के कर लिए हैं, जो देश के लिए गर्व की बात है। खासतौर पर जैस्मिन लैम्बोरिया और नूपुर श्योरण ने फाइनल में जगह बनाकर देश को गोल्ड मेडल की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। वहीं मीनाक्षी हुड्डा ने भी सेमीफाइनल में प्रवेश कर भारत के लिए चौथा मेडल पक्का कर दिया है। इस सफलता ने भारतीय महिलाओं की खेल प्रतिभा को एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है।
फाइनल में जैस्मिन और नूपुर की धमाकेदार जगह
भारतीय महिला मुक्केबाज जैस्मिन लैम्बोरिया ने सेमीफाइनल में वेनेजुएला की अल्काला को 5-0 के क्लीन स्कोर से हराकर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई। यह उपलब्धि उन्हें पहली भारतीय महिला मुक्केबाज के तौर पर इतिहास में दर्ज कराती है। अब जैस्मिन का मुकाबला फाइनल में पेरिस ओलंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट जूलिया स्जेरेमेटा से होगा, जो बेहद रोमांचक और चुनौतीपूर्ण मुकाबला साबित होगा।
वहीं नूपुर श्योरण ने महिला 80 किलोग्राम वर्ग में तुर्की की तगड़ी मुक्केबाज सेमा दूततास को 5-0 से मात देकर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। नूपुर ने सेमीफाइनल मुकाबले में अपने डिफेंस और अटैक दोनों में शानदार प्रदर्शन किया और शुरुआत से ही विपक्षी मुक्केबाज पर दबाव बनाकर मैच अपने पक्ष में किया। इससे पहले इसी वर्ग की पूजा रानी ने भी भारत के लिए मेडल सुनिश्चित किया था, जिससे भारतीय टीम की ताकत का पता चलता है।
सेमीफाइनल में मीनाक्षी का दमदार प्रदर्शन
महिला 48 किलोग्राम वर्ग में मीनाक्षी हुड्डा ने इंग्लैंड की एलिस पंपफ्रे को 5-0 के सर्वसम्मति से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। इस जीत के साथ ही मीनाक्षी ने भारत के लिए चौथा मेडल पक्का कर दिया। अब उनका मुकाबला सेमीफाइनल में मंगोलिया की सिल्वर मेडलिस्ट लुत्साइखान्य अल्तांतसेट्सेग से होगा, जो इस स्तर के एक कड़े मुकाबले की उम्मीद है।
भारतीय पुरुष मुक्केबाजों का निराशाजनक प्रदर्शन
जहां भारतीय महिला मुक्केबाजों ने अपने अद्भुत प्रदर्शन से सबका दिल जीता है, वहीं भारतीय पुरुष मुक्केबाजों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। 10 सदस्यीय पुरुष टीम इस चैंपियनशिप में बिना किसी मेडल के वापस लौट रही है, जो 2013 के बाद पहली बार हुआ है। पुरुष मुक्केबाजों की यह स्थिति चिंता का विषय है और इसके सुधार के लिए रणनीति और प्रशिक्षण प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही है।
महिलाओं की सफलता ने बढ़ाई उम्मीदें
भारतीय महिलाओं की इस उपलब्धि ने देश में बॉक्सिंग के प्रति उत्साह और समर्थन को बढ़ावा दिया है। जैस्मिन और नूपुर जैसे मुक्केबाजों ने जो उत्साह और आत्मविश्वास दिखाया है, वह आने वाले समय में भारतीय बॉक्सिंग के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। देश की बेटियां इस चैंपियनशिप में न केवल जीत रही हैं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी पहचान भी मजबूत कर रही हैं।
निष्कर्ष
लिवरपूल में चल रही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने जो प्रदर्शन किया है, वह वाकई तारीफ के काबिल है। चार मेडल पक्का कर चुकी भारतीय टीम का हौसला बुलंद है और अब फाइनल में जैस्मिन और नूपुर से गोल्ड मेडल की उम्मीदें हैं। जबकि पुरुष टीम के लिए यह चैंपियनशिप निराशाजनक रही, लेकिन महिलाओं की सफलता ने भारतीय बॉक्सिंग की नई कहानी लिखी है। आने वाले मैच और प्रतियोगिताओं में भारतीय मुक्केबाजों से और भी बड़ी उम्मीदें जुड़ी हैं, जो देश के लिए गौरव की बात होगी।