Aaj ka Panchang: दर्श अमावस्या और बाला जयंती आज, शुभ-अशुभ मुहूर्त समेत ग्रहों की स्थिति जानने के लिए पढ़ें 19 नवंबर का पंचांग

Photo Source : Self

Posted On:Wednesday, November 19, 2025

जयपुर। सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाने वाली दर्श अमावस्या आज, 19 नवंबर 2025, को मनाई जा रही है। यह मार्गशीर्ष (अगहन) माह की अमावस्या तिथि है, जिसका विशेष महत्व धार्मिक कार्यों और पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए होता है। आज के दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्यों को बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि दर्श अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने और पितरों के नाम पर श्रद्धापूर्वक पूजा-दान करने से जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

पंचांग- 19.11.2025🌅

युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ कृष्ण पक्ष
वार __ बुधवार
तिथि - चतुर्दशी 09:43:03
नक्षत्र स्वाति 07:58:26
योग सौभाग्य 08:59:27
करण शकुनी 09:43:03
करण चतुष्पद 22:59:41
चन्द्र राशि - तुला till 28:13
चन्द्र राशि - वृश्चिक from 28:13
सूर्य राशि - वृश्चिक

🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉🏻 पितृ अमावस

🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁

👉🏻 देवकार्य अमावस
20/11/25 (गुरुवार)
👉🏻 श्री राम जानकी विवाह
25/11/25 (मंगलवार)
👉🏻 मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती/ व्यतिपात पुण्यम्
01/12/25 (सोमवार)
👉🏻 व्यंजन द्वादशी / प्रदोष व्रत
02/12/25 (मंगलवार)
👉🏻 सत्य पूर्णिमा व्रत
04/12/25 (गुरुवार)

🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉

(((( भक्त के अधीन भगवान ))))
.
सदना कसाई की कहानी..
.
एक कसाई था सदना। वह बहुत ईमानदार था, वो भगवान के नाम कीर्तन में मस्त रहता था। यहाँ तक की मांस को काटते-बेचते हुए भी वह भगवान नाम गुनगुनाता रहता था।
.
एक दिन वह अपनी ही धुन में कहीं जा रहा था, कि उसके पैर से कोई पत्थर टकराया। वह रूक गया, उसने देखा एक काले रंग के गोल पत्थर से उसका पैर टकरा गया है।
.
उसने वह पत्थर उठा लिया व जेब में रख लिया, यह सोच कर कि यह माँस तोलने के काम आयेगा।
.
वापिस आकर उसने वह पत्थर माँस के वजन को तोलने के काम में लगाया। कुछ ही दिनों में उसने समझ लिया कि यह पत्थर कोई साधारण नहीं है। जितना वजन उसको तोलना होता, पत्थर उतने वजन का ही हो जाता है।
.
धीरे-धीरे यह बात फैलने लगी कि सदना कसाई के पास वजन करने वाला पत्थर है, वह जितना चाहता है, पत्थर उतना ही तोल देता है।
.
किसी को एक किलो मांस देना होता तो तराजू में उस पत्थर को एक तरफ डालने पर, दूसरी ओर एक किलो का मांस ही तुलता। अगर किसी को दो किलो चाहिए हो तो वह पत्थर दो किलो के भार जितना भारी हो जाता।
.
इस चमत्कार के कारण उसके यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी। भीड़ जुटने के साथ ही सदना की दुकान की बिक्री बढ़ गई।
.
बात एक शुद्ध ब्राह्मण तक भी पहुंची।हालांकि वह ऐसी अशुद्ध जगह पर नहीं जाना चाहता थे, जहां मांस कटता हो व बिकता हो। किन्तु चमत्कारिक पत्थर को देखने की उत्सुकता उसे सदना की दुकान तक खींच लाई।
.
दूर से खड़ा वह सदना कसाई को मीट तोलते देखने लगा। उसने देखा कि कैसे वह पत्थर हर प्रकार के वजन को बराबर तोल रहा था। ध्यान से देखने पर उसके शरीर के रोंए खड़े हो गए। भीड़ के छटने के बाद ब्राह्मण सदना कसाई के पास गया।
.
ब्राह्मण को अपनी दुकान में आया देखकर सदना कसाई प्रसन्न भी हुआ और आश्चर्यचकित भी। बड़ी नम्रता से सदना ने ब्राह्मण को बैठने के लिए स्थान दिया और पूछा कि वह उनकी क्या सेवा कर सकता है!
.
ब्राह्मण बोला.. तुम्हारे इस चमत्कारिक पत्थर को देखने के लिए ही मैं तुम्हारी दुकान पर आया हूँ, या यूँ कहें कि ये चमत्कारी पत्थर ही मुझे खींच कर तुम्हारी दुकान पर ले आया है।
.
बातों ही बातों में उन्होंने सदना कसाई को बताया कि जिसे पत्थर समझ कर वो माँस तोल रहा है, वास्तव में वो शालीग्राम जी हैं, जोकि भगवान का स्वरूप होता है। शालीग्राम जी को इस तरह गले-कटे मांस के बीच में रखना व उनसे मांस तोलना बहुत बड़ा पाप है।
.
सदना बड़ी ही सरल प्रकृति का भक्त था। ब्राह्मण की बात सुनकर उसे लगा कि अनजाने में मैं तो बहुत पाप कर रहा हूँ। अनुनय-विनय करके सदना ने वह शालिग्राम उन ब्राह्मण को दे दिया और कहा कि..
.
“आप तो ब्राह्मण हैं, अत: आप ही इनकी सेवा-परिचर्या करके इन्हें प्रसन्न करें। मेरे योग्य कुछ सेवा हो तो मुझे अवश्य बताएं।”
.
ब्राह्मण उस शालीग्राम शिला को बहुत सम्मान से घर ले आए। घर आकर उन्होंने श्रीशालीग्राम को स्नान करवाया, पँचामृत से अभिषेक किया व पूजा- अर्चना आरम्भ कर दी।
.
कुछ दिन ही बीते थे कि उन ब्राह्मण के स्वप्न में श्री शालीग्राम जी आए व कहा.. “हे ब्राह्मण! मैं तुम्हारी सेवाओं से प्रसन्न हूँ, किन्तु तुम मुझे उसी कसाई के पास छोड़ आओ।“
.
स्वप्न में ही ब्राह्मण ने कारण पूछा तो उत्तर मिला कि.. तुम मेरी अर्चना-पूजा करते हो, मुझे अच्छा लगता है, परन्तु जो भक्त मेरे नाम का गुणगान कीर्तन करते रहते हैं, उनको मैं अपने-आप को भी बेच देता हूँ।
.
सदना तुम्हारी तरह मेरा अर्चन नहीं करता है परन्तु वह हर समय मेरा नाम गुनगुनाता रहता है जोकि मुझे अच्छा लगता है, इसलिए तो मैं उसके पास गया था।
.
ब्राह्मण अगले दिन ही, सदना कसाई के पास गया व उनको प्रणाम करके, सारी बात बताई व श्री शालीग्रामजी को उन्हें सौंप दिया ब्राह्मण की बात सुनकर सदना कसाई की आंखों में आँसू आ गए।
.
मन ही मन उन्होंने माँस बेचने-खरीदने के कार्य को तिलांजली देने की सोची और निश्चय किया कि यदि मेरे ठाकुर को कीर्तन पसन्द है, तो मैं अधिक से अधिक समय नाम-कीर्तन ही करूंगा।

जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)


जयपुर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Jaipurvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.