Aaj ka Panchang 17 November 2025: हिंदुओं के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व है, जो हर महीने 2 बार रखा जाता है. पहला व्रत शुक्ल पक्ष में आता है, जबकि दूसरा कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार, आज 17 नवंबर 2025 को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सोम प्रदोष व्रत रखा जा रहा है, जो कि इस महीने का आखिरी प्रदोष व्रत है. आज के दिन व्रत रखना और शिव जी की पूजा करना बेहद शुभ होता है. आइए अब जानते हैं 17 नवंबर 2025 के पंचांग के बारे में.
पंचांग- 17.11.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ कृष्ण पक्ष
वार __ सोमवार
तिथि - त्रयोदशी अहोरात्र
नक्षत्र चित्रा 29:00:43
योग प्रीति 07:21:54
करण गर 17:58:01
चन्द्र राशि - कन्या till 15:34
चन्द्र राशि - तुला from 15:34
सूर्य राशि - वृश्चिक
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩 👉🏻 प्रदोष व्रत
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 पितृ अमावस
19/11/25 (बुधवार)
👉🏻 देवकार्य अमावस
20/11/25 (गुरुवार)
👉🏻 श्री राम जानकी विवाह
25/11/25 (मंगलवार)
👉🏻 मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती/ व्यतिपात पुण्यम्
01/12/25 (सोमवार)
👉🏻 व्यंजन द्वादशी / प्रदोष व्रत
02/12/25 (मंगलवार)
👉🏻 सत्य पूर्णिमा व्रत
04/12/25 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉 || सत्य का साथ दें ||
सत्य के पक्ष में खड़ा रहना ही जीवन का सबसे बड़ा साहस भी है। जिम्मेदारियों से बचने वाला व्यक्ति ही असत्य का भाषण करता है। वह असत्य की आड़ में अपनी लापरवाही को छुपाने का प्रयास करता है। निश्चित ही असत्य हमें भीतर से कमजोर बना देता है। जो लोग असत्य भाषित करते हैं, उनका आत्मबल भी बड़ा कमजोर होता है। हमें सत्य का आश्रय लेकर एक जिम्मेदार व्यक्ति बनने का सतत प्रयास करना चाहिए। उदासी में किये गये प्रत्येक कर्म में पूर्णता का अभाव पाया जाता है। हमें प्रयास करना चाहिए कि प्रत्येक कर्म को प्रसन्नता के साथ किया जाए। निष्कपट, निर्दोष और निर्वैर भाव ही हृदय की पवित्रता है। यदि जीवन में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि है तो वह हमारे हृदय की पवित्रता है। पवित्र हृदय से किये गये कार्य भी पवित्र ही होते हैं। हमारी जिह्वा में सत्यता हो, चेहरे में प्रसन्नता हो और हृदय में पवित्रता हो तो इससे बढ़कर सुखद एवं श्रेष्ठ जीवन और नहीं हो सकता है।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)