चांदी की चमक के आगे फीका पड़ा सोना और शेयर बाजार, एक साल में 130% से ज्यादा उछाल, जानें क्या बोले एक्सपर्ट

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Posted On:Wednesday, December 24, 2025

साल 2025 निवेश की दुनिया में एक ऐसे वर्ष के रूप में दर्ज किया गया है, जहां पारंपरिक निवेश विकल्पों को पीछे छोड़ते हुए 'सफेद धातु' यानी चांदी ने अपनी चमक से सबको हैरान कर दिया है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और औद्योगिक मांग में आए उछाल के कारण चांदी ने इस साल निवेशकों को वह रिटर्न दिया है, जिसकी कल्पना साल की शुरुआत में शायद ही किसी ने की थी।

सोने और शेयर बाजार से कहीं आगे निकली चांदी

आमतौर पर सुरक्षित निवेश के लिए सोने को पहली पसंद माना जाता है, लेकिन इस साल आंकड़ों ने एक अलग ही कहानी बयां की है। जहां सोने ने इस साल अब तक लगभग 70–72 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया है, वहीं चांदी की कीमतों में 130 प्रतिशत से भी ज्यादा की ऐतिहासिक बढ़त दर्ज की गई है।

अखिल भारतीय सर्राफा संघ के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के सर्राफा बाजार में चांदी की कीमत 2,14,500 रुपये प्रति किलोग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यदि हम तुलना करें, तो साल की शुरुआत में चांदी महज 90,500 रुपये प्रति किलो के स्तर पर थी। इसका मतलब है कि एक साल के भीतर ही चांदी की कीमत में 1,24,000 रुपये का भारी इजाफा हुआ है।

क्यों आई चांदी की कीमतों में यह 'सुनामी'?

विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की कीमतों में आई यह तेजी केवल सट्टेबाजी का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई ठोस और बुनियादी कारण मौजूद हैं:

  1. औद्योगिक मांग में क्रांतिकारी उछाल: चांदी का उपयोग अब केवल आभूषणों और सिक्कों तक सीमित नहीं है। इलेक्ट्रिक वाहन (EV), सौर ऊर्जा (सॉलर पैनल) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े हार्डवेयर में चांदी का बड़े पैमाने पर औद्योगिक उपयोग हो रहा है। इन उभरते हुए क्षेत्रों ने चांदी की मांग को नई ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया है।

  2. आपूर्ति में भारी कमी: वैश्विक स्तर पर चांदी की आपूर्ति में लगातार पांचवें साल गिरावट देखी गई है। खनन गतिविधियों में कमी और रिसाइकिलिंग की सीमित क्षमता के कारण मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ गया है, जिससे कीमतों को बल मिला है।

  3. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना ने डॉलर और बॉन्ड के मुकाबले कीमती धातुओं को अधिक आकर्षक बना दिया है। इसके अलावा, ईटीएफ (ETF) के माध्यम से डिजिटल चांदी में निवेश और भौतिक चांदी की बढ़ती खरीद ने भी कीमतों को समर्थन दिया है।

2026 के लिए क्या है अनुमान?

निवेशकों के मन में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चांदी की यह रफ्तार जारी रहेगी? बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 जैसा असाधारण (130%+) रिटर्न हर साल मिलना मुश्किल है, लेकिन चांदी की चमक अभी फीकी नहीं पड़ने वाली है।

मजबूत औद्योगिक मांग और सीमित वैश्विक स्टॉक को देखते हुए वर्ष 2026 में 15 से 20 प्रतिशत तक की और तेजी संभव मानी जा रही है। चांदी और सोने के अनुपात (Gold-Silver Ratio) में आ रही गिरावट भी इस बात का संकेत है कि चांदी में अभी और अधिक मूल्य वृद्धि की संभावना बची है।

निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण सलाह

चांदी में निवेश आकर्षक जरूर है, लेकिन यह धातु सोने की तुलना में अधिक अस्थिर (Volatile) होती है। इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव आता है। इसलिए, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे एक साथ सारा पैसा लगाने के बजाय चरणबद्ध तरीके (SIP या छोटी-छोटी खरीदारी) से निवेश करें।


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