आज 21 नवंबर 2025, शुक्रवार का दिन है। पंचांग के अनुसार, आज दो अशुभ योगों का संयोग बन रहा है, जिसके कारण शुभ कार्यों को करने से पहले मुहूर्त का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
पंचांग- 21.11.2025🌅
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ शुक्ल पक्ष
वार __ गुरुवार
तिथि - प्रतिपदा 14:46:35
नक्षत्र अनुराधा 13:54:52
योग अतिगंड 10:42:24
करण बव 14:46:35
करण बालव 27:59:40
चन्द्र राशि - वृश्चिक
सूर्य राशि - वृश्चिक
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉🏻 उत्तर श्रृंगोन्नति व्रत
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 श्री राम जानकी विवाह
25/11/25 (मंगलवार)
👉🏻 मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती/ व्यतिपात पुण्यम्
01/12/25 (सोमवार)
👉🏻 व्यंजन द्वादशी / प्रदोष व्रत
02/12/25 (मंगलवार)
👉🏻 सत्य पूर्णिमा व्रत
04/12/25 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉
अनुकरणीय अमृत कथा
जब श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध पश्चात् लौटे तो रोष में भरी रुक्मिणी ने उनसे पूछा..,
" बाकी सब तो ठीक था किंतु आपने द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह जैसे धर्मपरायण लोगों के वध में क्यों साथ दिया?"
.
श्री कृष्ण ने उत्तर दिया..,
"ये सही है की उन दोनों ने जीवन पर्यंत धर्म का पालन किया किन्तु उनके किये एक पाप ने उनके सारे पुण्यों को हर लिया "
"वो कौनसे पाप थे?"
श्री कृष्ण ने कहा :
"जब भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था तब ये दोनों भी वहां उपस्थित थे ,और बड़े होने के नाते ये दुशासन को आज्ञा भी दे सकते थे किंतु इन्होंने ऐसा नहीं किया
उनका इस एक पाप से बाकी,
धर्मनिष्ठता छोटी पड गई"
.
रुक्मिणी ने पुछा,
"और कर्ण?
वो अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था ,कोई उसके द्वार से खाली हाथ नहीं गया उसकी क्या गलती थी?"
.
श्री कृष्ण ने कहा, "वस्तुतः वो अपनी दानवीरता के लिए विख्यात था और उसने कभी किसी को ना नहीं कहा,
किन्तु जब अभिमन्यु सभी युद्धवीरों को धूल चटाने के बाद युद्धक्षेत्र में आहत हुआ भूमि पर पड़ा था तो उसने कर्ण से,जो उसके पास खड़ा था,पानी माँगा ,कर्ण जहाँ खड़ा था उसके पास पानी का एक गड्ढा था किंतु कर्ण ने मरते हुए अभिमन्यु को पानी नहीं दिया।
इसलिये उसका जीवन भर दानवीरता से कमाया हुआ पुण्य नष्ट हो गया। बाद में उसी गड्ढे में उसके रथ का पहिया फंस गया और वो मारा गया"
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अक्सर ऐसा होता है की हमारे आसपास कुछ गलत हो रहा होता है और हम कुछ नहीं करते।
हम सोचते हैं की इस पाप के भागी हम नहीं हैं किंतु मदद करने की स्थिति में होते हुए भी कुछ ना करने से हम उस पाप के उतने ही हिस्सेदार हो जाते हैं।
हमारे अधर्म का एक क्षण सारे जीवन के कमाये धर्म को नष्ट कर सकता है..!!
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)