जयपुर। आज, 25 नवंबर 2025, मंगलवार को हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है, जिसे अत्यंत महत्वपूर्ण विवाह पंचमी के रूप में मनाया जा रहा है। इसी दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था।
पंचांग- 25.11.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ शुक्ल पक्ष
वार __ मंगलवार
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩 👉🏻 श्री राम जानकी विवाह/ विवाह पंचमी
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 मोक्षदा एकादशी / गीता जयंती/ व्यतिपात पुण्यम्
01/12/25 (सोमवार)
👉🏻 व्यंजन द्वादशी / प्रदोष व्रत
02/12/25 (मंगलवार)
👉🏻 सत्य पूर्णिमा व्रत
04/12/25 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉
🪴 श्री राम जानकी विवाह (विवाह पंचमी) विशेष -
श्री राम-जानकी विवाह का महत्व आध्यात्मिक, पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाने में है। इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है, और यह आदर्श प्रेम, विश्वास और पति-पत्नी के बीच सामंजस्य का प्रतीक है। इस उत्सव पर पूजा-पाठ करने और रामचरितमानस का पाठ सुनने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, सौभाग्य बढ़ता है, और पारिवारिक समृद्धि आती है।
आध्यात्मिक महत्व -
आत्मा और परमात्मा का मिलन: श्री राम को परमात्मा और माता सीता को आत्मा का प्रतीक माना जाता है, और उनके विवाह को दो आत्माओं के मिलन के रूप में देखा जाता है।
धर्म और भक्ति का संगम: श्री राम धर्म के प्रतीक हैं और माता सीता भक्ति की मूर्ति। उनका विवाह सृष्टि में संतुलन का संदेश देता है।
मर्यादा और शक्ति: -
श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और सीता माता उनके साथ आदिशक्ति के रूप में हैं।
पारिवारिक और वैवाहिक महत्व
पारिवारिक सुख-शांति: -
इस विवाह प्रसंग का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और एकता बनी रहती है।
दांपत्य जीवन में खुशहाली:-
वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने और पति-पत्नी के बीच प्रेम व विश्वास बढ़ाने के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है।
विवाह योग्य लोगों के लिए:-
जिन अविवाहितों के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, उन्हें विवाह पंचमी का व्रत रखने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
इस दिन क्या करें -
भगवान श्री राम और माता जानकी की विधि-विधान से पूजा करें।
पूजा में उन्हें फल, फूल, नैवेद्य और मिष्ठान का भोग लगाएं।
सुहागिन महिलाएं माता सीता को सिंदूर, बिंदी और लाल चुनरी जैसी सुहाग की सामग्री अर्पित कर सकती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
'रामचरितमानस' में राम-सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करें या सुनें।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)